भाषा एवं साहित्य >> राष्ट्रभाषा हिन्दी : समस्याएँ और समाधान राष्ट्रभाषा हिन्दी : समस्याएँ और समाधानदेवेन्द्रनाथ शर्मा
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राहुलजी के भाषा-सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण लेखों और भाषणों को संकलन
इस पुस्तक में राहुलजी के भाषा-सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण लेखों और भाषणों को संकलित किया गया है, जिनमें उन्होंने सामान्यत: भारत की भाषा-समस्या और विशेषत: हिन्दी पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
कहने की जरूरत नहीं कि भाषा सम्बन्धी जो सवाल पचास साल पहले हमारे सामने थे, वे कमोबेश आज भी जस के तस हैं, बल्कि कुछ ज्यादा ही उग्र हुए हैं। मसलन अंग्रेजी का मसला, जिसने व्यवहार में राष्ट्रभाषा हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को दूसरे-तीसरे दर्जे पर पहुँचा दिया है। इसके अलावा वैज्ञानिक और पारिभाषिक शब्दावली की समस्या है, जिस पर अभी भी काफी काम किए जाने की जरूरत है। राहुलजी इन निबन्धों में इन सभी बिन्दुओं पर गहराई और अधिकार के साथ विचार करते हैं। हिन्दी को राष्ट्रभाषा के पद पर स्थापित करने की पैरवी करते हुए वे अन्य भारतीय भाषाओं को भी उनका उचित और सम्मानित स्थान दिए जाने की जरूरत महसूस करते हैं। उनका सुझाव है कि हरेक बालक- बालिका को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए, और सारे देश में जहाँ भी निर्धारित अल्पमत संख्या में विद्यार्थी मिलें, वहाँ उनके लिए अपनी भाषा के स्कूल खोलने चाहिए।
इसके अलावा हिन्दी की संरचना, विकास, साहित्य और इतिहास आदि अनेक पहलुओं पर राहुलजी के स्पष्ट विचार इन निबन्धों में संकलित हैं।
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